सोमवार, 17 नवंबर 2008
अब डर कैसा
बहुत लोग मना कर रहे हैं, कि ये शादी निभ नहीं पाएगी । अकेले ही मैं अच्छा जीवन जी पाउंगी ! घर गृहस्थी संभालना मेरे बस की बात नहीं । लेकिन मुझे लगता है कि कुछ तो एसी सलाह इसलिए दे रहे हैं कि मुझसे जलते हैं, कुछ शायद सचमुच भी मेरे लिए चिंतित हैं। कुछ एसे भी हैं जो मां के कारण मुझे भी शादी करने से मना कर रहे हैं । मां भी शादी के बाद गृहस्थी का और पति का सुख नहीं देख पाई बस संतान सुख या कहो दुख मुझ विकलांग बच्ची के रूप में उन्होंने पाया । बड़ी मुशि्कल से जान बचाकर वह ससुराल से वापस सहारनपुर आ सकी । मैं जब गर्भ में थी तो उनके ससुर ने उन्हें इतना मारा कि उसका फल विकलांगता के रूप में मैं जीवन भर भोग रही हूं । मम्मी की भी रूह कांप जाती है जब कोई उन्हें वही सब याद दिलाकर मेरी शादी न करने की सलाह देता है ।
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